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ज्योतिर्विज्ञान में, आकाश में स्थित असंख्य तारों, (ग्रहों-नक्षत्रों) के इस पृथ्वी पर स्थित सभी प्राणियों- वृक्ष वनस्पतियों, (विशेष कर मनुष्यों पर ) इत्यादि पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।

  • आकाश में स्थित एक सूर्य और उसके चारों ओर घूमने वाले पृथ्वी, मङ्गल, बुद्ध, शुक्र, बृहस्पति, शुक्र, शनि  को ग्रह तथा चंद्रमा को उपग्रह कहते हैं। 

  • इनका हमारे जीवन पर अत्यंत शक्तिशाली प्रभाव पड़ता है, यह निर्विवाद रूप से प्रमाणित है।

  • जबकि आकाश में स्थित असंख्य तारे भी असंख्य सूर्य ही हैं। 

  • सम्पूर्ण आकाश को उल्टे कटोरे जैसा, वृत्ताकार ( circular )  मान कर, सम्पूर्ण आकाश को 27 भागों में बाँट कर उन्हें 27 नक्षत्रों को ( अश्विनी, भरणी, कृतिका )  इत्यादि नाम दिया गया है। 

  • 27 भागों में से प्रत्येक भाग में जो तारों का समूह है उसे एक नक्षत्र का नाम देकर  उसके प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। 

  • आपके जन्म के समय चंद्रमा आकाश में  किस नक्षत्र में था, उसी नक्षत्र के आधार पर आपका राशि का नाम रखा जाता है। 

  • सम्पूर्ण आकाश के इन 27 नक्षत्रों को पुनः 12 भागों में बांटा गया है जिनमें  एक राशि मे सवा दो नक्षत्र आते हैं। 

  • इन राशियों के नाम क्रमशः(1) मेष (2)वृष (3)मिथुन (4)कर्क(5) सिंह (6) कन्या (7)तुला (8) वृश्चिक (9)धनु (10) मकर (11) कुम्भ (12) मीन हैं। 

जन्मकुंडली में जन्म के समय कौन सी राशि  किस दिशा में स्थित थी उसी अनुरूप  उसमें राशि के नाम की जगह उसका अंक (1) (2) (3) या 4,5,6,7.... इत्यादि लिखा रहता है।।

  • इसी को जन्म कुंडली के 12 भाव कहा जाता है। 

  • और जन्म के समय नवग्रहों में से कौन सा ग्रह आकाश में किस  भाव किस दिशा ( राशि- नक्षत्र ) में स्थित था  ये दिखाया जाता है। 

  • जन्मकुंडली में सबसे ऊपर की दिशा पूर्व दिशा होती है। सबसे ऊपर के तीन घरों के बीच के घर ( भाव ) को प्रथम भाव या लग्न कहते हैं। 

  • इसे प्रथम भाव मानकर बायीं ओर से प्रत्येक भाव को दूसरा, तीसरा, चौथा भाव गिनते हैं। 

  • साथ दिए गए चित्र में यही बताया है कि जन्मकुंडली में किस भाव में ( घर में ) हमारे जीवन से संबंधित किस विषय की जानकारी मिलती है ???

  • जन्मकुंडली के फल कथन इस बात पर निर्भर करते हैं कि किस भाव मे कौन सी राशि ( नक्षत्रों का समूह ) थी तथा उस भाव में अर्थात नक्षत्रों के  उस समूह के साथ कौन सा ग्रह अथवा ग्रहों का समूह स्थित था। और इसका प्रभाव उस व्यक्ति के जीवन पर क्या हुआ, अथवा आगे चलकर क्या प्रभाव पड़ेगा। 

  • आशा है आप सभी को ज्योतिर्विज्ञान के इस अत्यंत उपयोगी विषय को समझ कर लाभ उठाने, अपने जीवन को सँवारने में सहायता होगी।

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