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जो राखे निज धर्म को तेहि राखे करतार ।

जब से सनातनी हिंदुओं ने यज्ञ करना छोड़ दिया, तब से ही उनका विनाश होता चला जा रहा है। ध्यानपूर्वक पूरा संदेश पढ़ें
अरे सनातनी हिंदुओं ! देवताओं के कोप, क्रुद्ध प्रकृति के विनाश से बचने के लिए, घर घर गायत्री मंत्र जप और दैनिक/साप्ताहिक/मासिक यज्ञ प्रारम्भ करो

 क्या आप जानते हैं ?

पृथ्वी,जल,अग्नि,वायु, आकाश रूपी पाँच तत्वों से हमारा जीवन और संसार संचालित होता है, और  आज ये पाँच तत्वों के देवता, क्रोधित हो, संसार में विनाशकारी सिद्ध हो रहे हैं।

पृथ्वी

जहाँ तहाँ अक्सर भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट हो रहे हैं। कीट नाशक दवाओं, रासायनिक खाद, महानगरों के लाखों टन कचरे से धरती प्रदूषित हो ऊसर, बंजर हो रही है, फसलें बर्बाद हो रही हैं।

जल

कहीं सूखा, तो कहीं बाढ़ से प्रलय जैसी स्थिति पैदा हो रही है। महामारी फ़ैल रही है।

अग्नि

घर,गाँव, फैक्ट्री, दुकानों, गोदामों,  कार, बस, ट्रकों आदि में भीषण अग्निकांड हो रहे हैं।

वायु

भारत और विश्व में प्रलयंकारी आँधी, तूफ़ान तबाही मचा रहे हैं।

आकाश

जन जन के मन में आक्रोश है, अतः घर घर में कलह, क्लेश, लड़ाई, झगड़ा तथा देश विदेश में जुलूस, धरना, प्रदर्शन, आगजनी, पथराव, बम विस्फोट, आतंकवाद, युद्ध जैसे हालात हैं।

ये इसलिए क्योंकि देवताओं की पूजा सही विधि विधान से नहीं हो रही है।

 तो फिर देवताओं की पूजा किस प्रकार करें ?
ताकि वे शीघ्र प्रसन्न हों ? देवताओं के कोप से हमारी और हमारे परिवार की रक्षा हो सके ?
धर्मग्रंथों में लिखा है

शिव पुराण: सभी देवताओं की यज्ञ हवन के द्वारा पूजा होनी चाहिए।

श्री विष्णु पुराण : नित्य प्रति किया जाने वाला यज्ञानुष्ठान मनुष्यों का परम उपकारक और उनके किये हुए पापों का शमन करने वाला है।

श्रीमद्भगवद्गीता : प्रजापिता (ईश्वर) ने मनुष्यों और यज्ञ को, साथ साथ उत्पन्न किया और कहा कि हे मनुष्यों ! 
तुम यज्ञ के माध्यम से देवताओं की उन्नति करो, और इस से प्रसन्न हुए देवता, बदले में बिना माँगे ही, तुम्हारी इच्छित मनोकामनाओं को पूर्ण करेंगे।

अग्नि पुराण : यज्ञ करने वाले को ग्रह पीड़ा, बँधु नाश, धन क्षय, पाप, रोग, बंधन आदि की पीड़ा नहीं सहनी पड़ती। यज्ञ का फल अनंत है।

जिस घर में यज्ञ नहीं होता, वहाँ देवताओं का वास नहीं होता, अतः गरीबी, बीमारी, दुर्घटना, अकाल मृत्यु, लड़ाई, झगड़ा, भूत-प्रेत बाधा आदि का कष्ट उठाना पड़ता है।

अतः

  • विपत्ति निवारण के लिए,

  • दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए,

  • घर,परिवार,समाज व राष्ट्र में सुख,शांति, समृद्धि लाने के लिए

प्रत्येक सनातनी हिन्दू को, यथा संभव, दैनिक, साप्ताहिक, मासिक अथवा वर्ष में 2 -4 बार भी, अपने घरों में यज्ञ आयोजन अवश्य ही करना चाहिए।

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